Saturday, June 6, 2020

मै नास्तिक हूँ(THE ATHEIST)

                                                        WHY I AM an  ATHEIST   





मैं सर्वशक्तिमान  परमात्मा के अस्तित्व को मानने से इंकार करता हूँ | मै नास्तिक इसलिए नहीं बना, कि मैं अभिमानी हूँ ,पाखण्डी हूँ या निरथर्क हूँ | मैं न तो किसी का अवतार हूँ, न ही ईश्वर का दूत और न ही खुद परमात्मा | मैं अपना जीवन एक मकसद के लिए न्योछावर करना चाहता हूँ , और ईससे बड़ा आश्वासन भला  क्या हो सकता है | ईश्वर में विश्वास रखने वाला एक हिन्दू पुनर्जन्म में एक राजा बनने की आशा कर  सकता है, एक मुस्लमान और एक ईसाई  को स्वर्ग में भोग विलास पाने की इच्छा  हो सकती है| इंसानो को अपने कष्ट और कुर्बानी  के बदले परमात्मा से पुरस्कार की आशा रहती है |  
   

                      न कोई स्वर्ग है,न ही नरक 
                      न ही कोई परलोक में जाने वाली आत्मा है 
                      न ही कोई कर्मफल 
                      जो कुछ है यही है |  
                                                       चार्वाक  the vedic atheist                                                  






                       लेकिन मुझे क्या आशा करनी चाहिए !मैं यह जनता हु की जिस पल नियति का रुख बदलेगा ,पैरो के नीचे से तख्ता हटेगा वो मेरा अंतिम क्षण  होगा | किसी स्वार्थ भावना के बिना , यहां या यहां के बाद किसी भोग विलास या पुरस्कार की इच्छा  किये बिना मैंने अपना सम्पूर्ण जीवन अपने लक्ष्य के नाम कर कर  दिया है | 
मुझे  लगता है जरूर हमारे पूर्वजो की किसी सर्वशक्तिमान में आस्था रही होगी |( यही वजह रही होगी जिसके वजह से परमात्मा के अस्तित्व को बचाने के लिए ये पाखंड और अंधविश्वास को रचा गया  होगा| )उस विश्वास या सच या परमात्मा के अस्तित्व को जब जब मैंने चुनौती देनी चाही , मुझे काफिर या पाखंडी कहा गया | चाहये  मेरे तर्क इतने मजबूत क्यों  न हो की उन्हें झुठलाना नामुमकिन हो ,या चाहे मेरी आस्था अपने तर्कों के लिए इतनी मजबूत क्यों न हो कि मुझे ईश्वर के डर अथवा उसके प्रकोप से डराया न जा सके | यही वजह है कि  मुझे अभिमानी कहकर मेरी निंदा की जाती है | 

{मै  कभी समझ ही नहीं पाया की इन अंधविश्वासों का उद्धभव कहा  से हुआ ? किसी अतार्किक बातो में तर्क ढूंढ़ने निकला तो पता चला की पापा  को उनके पापा  ने बताया था और उनके पापा को उनके पापा  ने लेकिन कभी किसी ने यह जानने की कोशिश  नहीं की की ऐसा क्यों ? कभी बिल्ली के रास्ता  काटने से ,तो  कभी किसी जाते आदमी को टोक देने से कैसे किसी के बनते काम बिगाड़ सकते है | वो मासूम जानवर जो तुम्हारे बुरे के  लिए कभी सोच भी नहीं सकता उसके मात्र सामने से निकल जाने से हमारे काम बिगड़ गए | महिलाओ के लिए यह और भी दयनीय है |  मासिक चक्र  के दौरान महिलाओ को ऐसे बहुत सी चीज़ो को करने और उन्हें छूने से मना कर  दिया जाता है | मंगलवार को चिकन मत खाओ ,गुरुवार को बाल मत कटवाओ| ऐसा कौन सा दिन है जो भगवान् का न हो?व्रत रखो भगवान् खुश होंगे,आज तक ऐसा कही नहीं लिखा मिला  कि  भगवान आपके भूखे रहने से ही खुश होंगे| अगर कभी आप इन सब बातो का तर्क पूछोगे थो यह कहकर टाल दिया जायेगा की ऐसा ही चलता आ रहा है |}
    


 मुझे याद है जितनी कहानिया, ग्रंथ,उपन्यास तथा धार्मिक पुस्तके पढ़ी वहा मैंने भगवान को इतना असहाय कभी नहीं पाया | जिस  सर्वशक्तिमान परमात्मा ने हमे  सब कुछ दिया  और उम्मीद से ज्यादा दिया आज हम उस परमात्मा के सामने भेट के तोर  पर पैसे चढ़ाते है| भक्ति से भगवन को खुश करते बहुत बार सुना किन्तु वर्तमान स्थिति में अपनी बात मनवाने के लिए उसे रिश्वत दे रहे है| ऐसा कहा लिखा है की परमात्मा को आपके पैसो की जरूरत है| और सही मायने में जिनको इसकी जरूरत होती है उसे हम यह कह कर "कि  कमा कर  नहीं खा सकते" ज्ञान दे देते है |  भगवान् को न जाने कितने रूपों में बदल दिया है कोई उसे अल्लाह मानता  है,कोई उसे भगवान्  तो कोई गॉड मानना चाहता है | जबकि सचाई यह है की वो सर्वशक्तिमान  परमात्मा एक ही है | 



मै  अपने घमंड की वजह से नास्तिक नहीं बना| ईश्वर के मेरे अविश्वास  ने आज सारी  परिस्थितियों को  मेरे प्रतिकूल (विपरीत ) बना दिया है ,और हो सकता है कि आने वाले समय में ये परिस्थितियां और भी ज्यादा बिगड़ जाए | लेकिन केवल परिस्थितियों से हर के मैं अध्यात्मक की और नहीं बढ़ सकता | मैं  अपनी नाकामियों पर और अपने अंत पर  कोई तर्क नहीं देना चाहता | मैं यथार्थवाद हूँ| अपने व्यहवार पर मैं केवल तर्कशील होकर विजय पाना चाहता हूँ | भले ही मैं  हमेशा इन कोशिशों  में कामियाब नहीं  रहा हू  लेकिन मनुष्य का कर्तव्य है कि वह  कोशिश करता रहे,क्योकि सफलता तो संयोग और हालत पर ही निर्भर करती है | 


                                     आगे बढ़ने वाले प्रत्येक वयक्ति के लिए जरूरी है कि वो पुरानी आस्था के सभी सिद्धांतो मे  दोष ढूंढे | उसे एक एक करने पुरानी मान्यताओं को चुनौती देनी चाहिए | सभी बारीकियों को परखना और समझना चाहिए|  अगर इंसान कठोर तर्क और वितर्क के बाद किसी धारणा  पर पहुँचता है ,तो उसके विश्वास को सरहाना चाहिए | हां, उसके तर्कों को गलत या झूठा भी समझा जा सकता है ,किन्तु संभव है कि  उसे  सही ठहराया जायेगा, क्योकि तर्क ही जीवन का मार्ग दर्शक है|  
                                                                         लेकिन विश्वास या मुझे कहना चाहिए अन्धविश्वास बहुत घातक है| वो एक वयक्ति की सोच समझ की शक्ति को मिटा देता है, और उसे सुधार विरोधी बना देता है| जो भी वयक्ति खुद को यथार्थवादी (जो केवल तर्कों को महत्व देता हो )कहने का दावा करता है,उसे पुरानी मान्यताओं के सच को चुनौती देनी होगी, और यदि आस्था तर्क के प्रहार को सहन न कर पाए, तो वह बिखर जाती है | 

 


"मेरी माँ ने मुझे भगवान् के सामने प्रार्थना करने को कहा | जब मैंने उन्हें  अपने नास्तिक   होने की बात कही  तो उन्होंने कहा, जब तुम ज़िंदगी में किसी कठनाई से घिरे होंगे,या आखिरी क्षण नजदीक आएंगे तब तुम भगवान् पर यकीन करने लगोगे " मैंने  उनसे   बस  यही कहा की नहीं ऐसा कभी नहीं होगा,और यदि ऐसा हुआ तो  इसे मैं अपने लिए अपमानजनक और नैतिक पतन की वजह समझूंगा  | ऐसी स्वार्थी वजहों से मै  कभी प्रार्थना नहीं करूंगा | | 



                                                                                   रोहित शर्मा                                                             


No comments:

Ex की बर्थडे wish...........

रात के करीब 12 बजे थे,फ़ोन पर मैसेज पर मैसेज आ रहे थे।जी हां-आज बर्थडे था राहुल का।सब बड़ी बड़ी wish भेज रहे थे,जो जैसा मेसेज भेज रहा उसे वैसा ...