Saturday, June 27, 2020

Ex की बर्थडे wish...........

रात के करीब 12 बजे थे,फ़ोन पर मैसेज पर मैसेज आ रहे थे।जी हां-आज बर्थडे था राहुल का।सब बड़ी बड़ी wish भेज रहे थे,जो जैसा मेसेज भेज रहा उसे वैसा रिप्लाई।" Hi,RAHUL happy birthday तो thanku और एक स्माइल face वाला sticker, और जिसने बड़ा मैसेज किया उसे Thanku साथ मे एक ❤️और smile sticker।लेकिन इन सब के बीच जो स्माइल राहुल भेज रहा था दुसरो को,वो उसके चेहरे पर नही थी।मानो उसे इंतजार हो किसी खास के Birthday wish का।जी हाँ-राहुल को इंतजार था आइशा के मैसेज का।आयशा, उसकी ex Girlfriend।

घड़ी की टिक टिक के साथ रात के करीब 2 बज चुके थे।राहुल कभी Instagram check करता तो कभी फेसबुक।कही उसने मुझे wish तो नही किया,लेकिन उसका मेसेज नही आया था। ये सब अभी चल ही रह था कि इतने में एक तरफ से आवाज आई,- ओह! हेलो, ये क्या चल रहा है।अगर तुझे याद न हो तो मैं याद दिला दु की तुमने ही उससे Breakup किया था और कहा था कि आज के बाद मुझे मैसेज मत करना।इतने में दूसरी तरफ से आवाज आई,हाँ, ठीक है माना हमारा Breakup हो गया पर उसे Birthday तो wish करना चाहिए।
इंतज़ार करते करते राहुल कब सो गया उसे पता भी नही चला।सुबह उठा,उठकर उसने फ़ोन था चलाया,ओर फ़ोन मैं उसका मैसेज था आया।हाँ भाई आइशा का मैसेज!"Happy birthday Rahul🥰 God bless u ❤️😍❤️🥰🎂🎂🎂"

U Know, कभी कभी इंसान गलत होता है तो रिश्ता निभाना मुश्किल हो जाता है। यहां तो इंसान सही है बस वक़्त ही खराब है,।पर इसका मतलब ये नही की हम किसी को बर्थडे wish भी न करे।रिलेशनशिप न सही हम एक दोस्त की तरह तो रह ही सकते है।
"चल चलता हूं,ध्यान रख अपना"

Saturday, June 6, 2020

मै नास्तिक हूँ(THE ATHEIST)

                                                        WHY I AM an  ATHEIST   





मैं सर्वशक्तिमान  परमात्मा के अस्तित्व को मानने से इंकार करता हूँ | मै नास्तिक इसलिए नहीं बना, कि मैं अभिमानी हूँ ,पाखण्डी हूँ या निरथर्क हूँ | मैं न तो किसी का अवतार हूँ, न ही ईश्वर का दूत और न ही खुद परमात्मा | मैं अपना जीवन एक मकसद के लिए न्योछावर करना चाहता हूँ , और ईससे बड़ा आश्वासन भला  क्या हो सकता है | ईश्वर में विश्वास रखने वाला एक हिन्दू पुनर्जन्म में एक राजा बनने की आशा कर  सकता है, एक मुस्लमान और एक ईसाई  को स्वर्ग में भोग विलास पाने की इच्छा  हो सकती है| इंसानो को अपने कष्ट और कुर्बानी  के बदले परमात्मा से पुरस्कार की आशा रहती है |  
   

                      न कोई स्वर्ग है,न ही नरक 
                      न ही कोई परलोक में जाने वाली आत्मा है 
                      न ही कोई कर्मफल 
                      जो कुछ है यही है |  
                                                       चार्वाक  the vedic atheist                                                  






                       लेकिन मुझे क्या आशा करनी चाहिए !मैं यह जनता हु की जिस पल नियति का रुख बदलेगा ,पैरो के नीचे से तख्ता हटेगा वो मेरा अंतिम क्षण  होगा | किसी स्वार्थ भावना के बिना , यहां या यहां के बाद किसी भोग विलास या पुरस्कार की इच्छा  किये बिना मैंने अपना सम्पूर्ण जीवन अपने लक्ष्य के नाम कर कर  दिया है | 
मुझे  लगता है जरूर हमारे पूर्वजो की किसी सर्वशक्तिमान में आस्था रही होगी |( यही वजह रही होगी जिसके वजह से परमात्मा के अस्तित्व को बचाने के लिए ये पाखंड और अंधविश्वास को रचा गया  होगा| )उस विश्वास या सच या परमात्मा के अस्तित्व को जब जब मैंने चुनौती देनी चाही , मुझे काफिर या पाखंडी कहा गया | चाहये  मेरे तर्क इतने मजबूत क्यों  न हो की उन्हें झुठलाना नामुमकिन हो ,या चाहे मेरी आस्था अपने तर्कों के लिए इतनी मजबूत क्यों न हो कि मुझे ईश्वर के डर अथवा उसके प्रकोप से डराया न जा सके | यही वजह है कि  मुझे अभिमानी कहकर मेरी निंदा की जाती है | 

{मै  कभी समझ ही नहीं पाया की इन अंधविश्वासों का उद्धभव कहा  से हुआ ? किसी अतार्किक बातो में तर्क ढूंढ़ने निकला तो पता चला की पापा  को उनके पापा  ने बताया था और उनके पापा को उनके पापा  ने लेकिन कभी किसी ने यह जानने की कोशिश  नहीं की की ऐसा क्यों ? कभी बिल्ली के रास्ता  काटने से ,तो  कभी किसी जाते आदमी को टोक देने से कैसे किसी के बनते काम बिगाड़ सकते है | वो मासूम जानवर जो तुम्हारे बुरे के  लिए कभी सोच भी नहीं सकता उसके मात्र सामने से निकल जाने से हमारे काम बिगड़ गए | महिलाओ के लिए यह और भी दयनीय है |  मासिक चक्र  के दौरान महिलाओ को ऐसे बहुत सी चीज़ो को करने और उन्हें छूने से मना कर  दिया जाता है | मंगलवार को चिकन मत खाओ ,गुरुवार को बाल मत कटवाओ| ऐसा कौन सा दिन है जो भगवान् का न हो?व्रत रखो भगवान् खुश होंगे,आज तक ऐसा कही नहीं लिखा मिला  कि  भगवान आपके भूखे रहने से ही खुश होंगे| अगर कभी आप इन सब बातो का तर्क पूछोगे थो यह कहकर टाल दिया जायेगा की ऐसा ही चलता आ रहा है |}
    


 मुझे याद है जितनी कहानिया, ग्रंथ,उपन्यास तथा धार्मिक पुस्तके पढ़ी वहा मैंने भगवान को इतना असहाय कभी नहीं पाया | जिस  सर्वशक्तिमान परमात्मा ने हमे  सब कुछ दिया  और उम्मीद से ज्यादा दिया आज हम उस परमात्मा के सामने भेट के तोर  पर पैसे चढ़ाते है| भक्ति से भगवन को खुश करते बहुत बार सुना किन्तु वर्तमान स्थिति में अपनी बात मनवाने के लिए उसे रिश्वत दे रहे है| ऐसा कहा लिखा है की परमात्मा को आपके पैसो की जरूरत है| और सही मायने में जिनको इसकी जरूरत होती है उसे हम यह कह कर "कि  कमा कर  नहीं खा सकते" ज्ञान दे देते है |  भगवान् को न जाने कितने रूपों में बदल दिया है कोई उसे अल्लाह मानता  है,कोई उसे भगवान्  तो कोई गॉड मानना चाहता है | जबकि सचाई यह है की वो सर्वशक्तिमान  परमात्मा एक ही है | 



मै  अपने घमंड की वजह से नास्तिक नहीं बना| ईश्वर के मेरे अविश्वास  ने आज सारी  परिस्थितियों को  मेरे प्रतिकूल (विपरीत ) बना दिया है ,और हो सकता है कि आने वाले समय में ये परिस्थितियां और भी ज्यादा बिगड़ जाए | लेकिन केवल परिस्थितियों से हर के मैं अध्यात्मक की और नहीं बढ़ सकता | मैं  अपनी नाकामियों पर और अपने अंत पर  कोई तर्क नहीं देना चाहता | मैं यथार्थवाद हूँ| अपने व्यहवार पर मैं केवल तर्कशील होकर विजय पाना चाहता हूँ | भले ही मैं  हमेशा इन कोशिशों  में कामियाब नहीं  रहा हू  लेकिन मनुष्य का कर्तव्य है कि वह  कोशिश करता रहे,क्योकि सफलता तो संयोग और हालत पर ही निर्भर करती है | 


                                     आगे बढ़ने वाले प्रत्येक वयक्ति के लिए जरूरी है कि वो पुरानी आस्था के सभी सिद्धांतो मे  दोष ढूंढे | उसे एक एक करने पुरानी मान्यताओं को चुनौती देनी चाहिए | सभी बारीकियों को परखना और समझना चाहिए|  अगर इंसान कठोर तर्क और वितर्क के बाद किसी धारणा  पर पहुँचता है ,तो उसके विश्वास को सरहाना चाहिए | हां, उसके तर्कों को गलत या झूठा भी समझा जा सकता है ,किन्तु संभव है कि  उसे  सही ठहराया जायेगा, क्योकि तर्क ही जीवन का मार्ग दर्शक है|  
                                                                         लेकिन विश्वास या मुझे कहना चाहिए अन्धविश्वास बहुत घातक है| वो एक वयक्ति की सोच समझ की शक्ति को मिटा देता है, और उसे सुधार विरोधी बना देता है| जो भी वयक्ति खुद को यथार्थवादी (जो केवल तर्कों को महत्व देता हो )कहने का दावा करता है,उसे पुरानी मान्यताओं के सच को चुनौती देनी होगी, और यदि आस्था तर्क के प्रहार को सहन न कर पाए, तो वह बिखर जाती है | 

 


"मेरी माँ ने मुझे भगवान् के सामने प्रार्थना करने को कहा | जब मैंने उन्हें  अपने नास्तिक   होने की बात कही  तो उन्होंने कहा, जब तुम ज़िंदगी में किसी कठनाई से घिरे होंगे,या आखिरी क्षण नजदीक आएंगे तब तुम भगवान् पर यकीन करने लगोगे " मैंने  उनसे   बस  यही कहा की नहीं ऐसा कभी नहीं होगा,और यदि ऐसा हुआ तो  इसे मैं अपने लिए अपमानजनक और नैतिक पतन की वजह समझूंगा  | ऐसी स्वार्थी वजहों से मै  कभी प्रार्थना नहीं करूंगा | | 



                                                                                   रोहित शर्मा                                                             


Saturday, May 9, 2020

तुम्हे छोड़कर चला जाऊंगा।💔

तुम्हारी हर गलती को माफ किया।
तेरी गलत बात पर भी तेरा साथ दिया।।
फिर भी तुम्हे मुझ पर यकीन नही हुआ।
तेरी ये बाते अब मैं नही सह पाऊंगा,
देखना,एक दिन तुम्हे छोड़कर चला जाऊंगा।।1।।

तुम्हारे लिए मैंने अपने आपको बदला था।
तुम्हारे लिए अपने दोस्तों से भी लड़ा था।।
फिर भी तुम्हे मेरा साथ पसंद नही था।
तेरी ये बाते अब मैं नही सह पाऊंगा,
देखना,एक दिन तुम्हे छोड़कर चला जाऊंगा।।2।।

याद है मुझे तेरी छोटी छोटी बात पर रुठ जाना।
गुस्से में आकर बहुत कुछ कह जाना।।
फिर भी मेरा तुम्हे हर रोज़ मानना।
तेरी ये बाते अब मैं नही सह पाऊंगा,
देखना,एक दिन तुम्हे छोड़कर चला जाऊंगा।।3।।

तुम्हे मेरा किसी से बात करना पसंद नही।
मेरा मेरे दोस्तों से मुलाकात करने पसंद नही।।
मेरा उनके साथ टाइम पास करना पसंद नही।
तेरी ये बाते अब मैं नही सह पाऊंगा,
देखना,एक दिन तुम्हे छोड़कर चला जाऊंगा।।4।।

तेरे दिए तानो को रात भर सोचता रहा।
सोच-सोच कर रात भर आंसू बहता रहा।।
गलती मेरी ही थी,जो मैं रोकर भी तेरे पास आया हु।
फिर भी यही सुनने को मिला,जाने कहा कहा मुह मार के आया हु।।
तेरी ये बाते अब मैं नही सह पाऊंगा,
देखना,एक दिन मैं तुम्हे छोड़कर चला जाऊंगा।।5।।


                                         रोहित शर्मा                     
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Wednesday, May 6, 2020

Humayun Tomb-A Long Route Story

      Humayun Tomb-A Long Route Story.         

शनिवार 18 फरवरी 2017, को जैसे तैसे सुबह सुबह जल्दी कॉलेज पहुचा।वहां जाकर पता चला कि आज कोई क्लास नही होगी।मन बैठ गया कि आज ही तो जल्दी उठा था ताकि क्लास ले सकू,ओर आज कोई क्लास नही होगी।ये सब सोच ही रहा था कि बाकी सब मित्र भी मुँह लटकाए आकर खड़े हो गए।
मनोज-यार आज आने का कोई फायदा नही हुआ कोई क्लास नही होगी।
मैं- हाँ! मुझे भी अभी मालूम पड़ा मेरा तो सुबह सुबह उठना व्यर्थ हो गया।
रोहित कुमार- भाई मेरा मन इस बात से नही टूटा की आज क्लास नही होगी,बल्कि दुख इस बात का है कि आज कॉलेज में लड़कियां कम आई है।अब बताओ कैसे मन लगेगा कॉलेज में।
मनोज-भाई ऐसा करते है घर चलते है।
मैं-अरे साले!तुझे तो आने से पहले घर जाने की जल्दी लगी रहती है।क्लास हुई नही की मुँह उठाकर घर की तरफ चल देता हूं।
मनोज-भाई तो अब क्या करे कुछ सोचा है।
सुनील-कही घूमने चलते है।
पंकज-हा भाई ये सही है कही घूमने चलते है टाइम पास भी हो जाएगा।
मैं-लेकिन जायेगे कहा?
पंकज-गूगल कर यही हमारा मार्गदर्शक है।
मैं-अच्छा रुक करता हूँ।
काफी देर तक मैं देखता रहा कि कहा जाया जाए,जो जगह हमने देखी न हो ।10-15 मिनट बाद मेरे मुंह से निकल हुमायूँ मकबरा(Humayun Tomb) चलते है।
सुभाष-भाई ये दिल्ली में ही है क्या?
पंकज-अरे! मुझे पता है मै लेकर चलूंगा।पीछे से बस मिलती है।
तो चलते है फिर किस बात की देर करना,सबने एक स्वर में कहा।
इतने में एक आवाज ने हमको रोक! रुको भाई कहा जा रहे हो मुझे छोड़कर,मैं भी चलूंगा।पीछे मुड़कर देखा तो अविनाश था।मैंने कहा कि  क्या हुआ भाई आज हमारी याद कैसे आ गई लगता है आज तेरी टीम नही आई है।
अविनाश- हाँ भाई! आज कोई भी नही आया है।इसलिए मैं भी चलता हूं।
ठीक है भाई और हम सब चल दिये,एक ऐसे सफर की ओर जो इतना यादगार ओर मजेदार होने के साथ साथ परिश्रम से भरा होगा,इसके बारे में किसी ने सोचा न था।

बस स्टैंड पर एक घंटा खड़े रहने के बाद ये बात पूरी तरह समझ आ चुकी थी कि पंकज को नही पता है कौन से नंबर की बस जाएगी।अभी मैं सोच ही रहा था कि इतने में पंकज की आवाज आई! अबे चूतिये! जल्दी चढ़ जा बस छूट जाएगी।एकाएक मैं भागते हुए बस में चढ़ा।सबने अपनी अपनी सीट पकड़ी ओर सब पंकज के मुँह की ओर देख रहे थे मानो मन मे भाव था कि क्या ये बस सच में सही है?
थोड़ी देर में सुनील का धैर्य टूट जाता है और वो पूछ ही लेता है.....
सुनील-अरे पंकज,कहाँ पर उतरना है।
पंकज-रुक पूछ कर आता हूं कंडक्टर से।
सुनील-क्या मतलब तुझे नही आता कि ये बस कहा जाएगी।
पंकज जोर से मुस्कुराया ओर बोला कि अब जब निकल ही गये है तो पहुचेंगे जरूर।सब पंकज को इस भाव से देख रहे थे कि मानो उसने कोई बड़ा अपराध किया हो।पंकज कंडक्टर से पूछ कर आता है,कंडक्टर ने कहा हाँ जाएगी।हमे अभी भी यकीन नही हो रहा था तो पंकज ने कहा कि गूगल मैप पर देखते है अगर बस किसी दुुसरे रूट से गयी तो हम उतर जयेेंगे।
सुभाष का भाव था कि आज तो वह पहुच नही पायेगा।मनोज कह रहा था कि अच्छा भला  घर जा रहा था इनके चक्कर मे फस गया।
इतने में पंकज ने आवाज लगाई की उतरो,उतरो,उतरो ये तो गलत रूट से जा रही है।सब जल्दी जल्दी जैसे तैसे बस से उतर गये।
(अक्सर कभी कभी टेक्नोलॉजी हम पर महेरबान नही होती।और खासकर तब जब हम इसकी सबसे ज्यादा आवश्कता हो।)
आपसी सहमति से सब इस बात पर सब सहमत हुए की पैदल ही चलते है गूगल मैप के पीछे पीछे।
चलते चलते 1 घंटे से ज्यादा समय बीत चुका था पर हुमायूँ का मकबरा दूर दूर तक नजर नही आ रहा था।
 अविनाश-अरे भाई!इससे अच्छा तो मैं कॉलेज में ही रह लेता, तुमने तो चला चला कर मार ली।
सुनील-किसका विचार था यहां पर आने का?
मैंने कहा हम सब का।वो बोला तो क्या आज ही पहुच जायेगे?
मनोज-क्रोधित भाव मे! मैं पागल था जो तुम्हारे साथ आया।अभी तक घर जाकर सो गया होता।
सुभाष-साला आज के बाद बस से नही आऊंगा।नही पता तो मेट्रो सेे आनाा चाहये था भाई।
इन सबके बीच पंकज चुप था शायद वह जानता था कि यदि उसने कुछ कहा तो आरोप प्रत्यारोप शुरू हो जाएगा।

लगभग 2 घंटे होने को आये थे और मकबरे का कोई अता पता नही था।रास्ते मे कही निम्बू पानी पीते ताकि चलने की एनर्जी आ सके तो कही आइसक्रीम खाकर गर्मी को अपने से दूर रखने का प्रयास कर रहे थे।

"जनता हू आप सोच रहे होंगे कि फरवरी में किसको गर्मी लगती है और कहा आइसक्रीम मिलती है।लेकिन दिल्ली में हर चीज़ हर समय मौजूद होती है ।और जो खाली सड़को पर 2 घंटे से चला आ रहा हो उसको गर्मी लगना स्वाभाविक है।

हम ऐसे स्थान से गुजर रहे थे,जहाँ न तो दूर दूर तक कोई बस थी और न है ऑटो ई-रिक्शा ।
लगभग 5-6 किलोमीटर चलने के बाद हमे एक ऑटो वाले नजर आया। हमारी जान में जान आयी।हम सब हर चुके थे और अब एक कदम आगे चलने को तैयार नही थे।मैं आगे बढ़ा और ऑटो वाले से पूछा- भैया हुमायूँ का मकबरा चलोगे। 
हाँ भैया! बिल्कुल चलेगे चलने के लिए ही तो बैठे है।
किन्तु जब मोल भाव पर बात आये तो हमने अपना विचार बदल दिया कि अब आगे भी पैदल ही जायेंगे।

'इतने में छोटू के मुँह से निकल गया कि इतना आ गए है थोड़ी दूर ओर सही।'

ऑटो वाला हमारे चेहरे के भाव पहले ही समझ चुका था,और इतने में उन्होंने अपने शब्दों से एक तीखा बाण हम पर छोड़ा।
"लगता है भैया घर से ही पैदल आ रहे हो"।ये सब सुनकर हमे महसूस हुआ कि मानो हमारे आत्मसम्मान पर प्रहार किया गया हो।अब हमारा दृढ संकल्प था कि चाहये कुछ हो जाये जायेगे तो पैदल ही।

जैसे तैसे ढाई घण्टे चलने के बाद हमे हुमायूँ के मकबरे के दर्शन हुए।हम सबने एक चैन की सांस ली,और एक स्वर में मुँह से निकला की भैया सफर बहुत बड़ा था।

अभी खुशी हमारे मुख पर ही थी कि इतने में मैं क्या देखता हूं कि एक बस हमारे सामने से जाती और ओर उस बस पर वही नंबर लिखा था जिससे पंकज ने ये कह कर उतार दिया था कि ये गलत जा रही है।सब ने पंकज को कोसा ओर कहा कि तेरे वजह से आज सबकी ऐसी  तैसे हुई है। पंकज का सीधा सा जवाब था कि मेरे कोई गलती नही है ये गूगल मैप ही चु### है उसने ही गलत बताया था।
बहरहाल यहां गलती किसी की भी हो कोई फर्क नही पड़ता पर हां- सफर काफी लंबा और मजेदार था।
इसके बाद हम अंदर गए खूब मस्ती की ,और मुझे याद है की हमने 1000 से भी ज्यादा फ़ोटो खिंचवाई थी। सब बार बार इस सफर की बातों को लेकर एक दूसरे की टांग खिंच रहे थे।

मेरा अपना अनुभव है कि वो लाइफ का सबसे मजेदार ओर बेवकूफी वाला वाक्य था।इस सफर में कभी किसी की खिंचाई की गई तो,कभी सीरियस मुद्दों पर बात करना शुरू कर देते।कभी चलते चलते बैठ जाते तो कभी पूरी एनर्जी से आगे बढ़ते।

आज भी याद आते है वो पल की काश ज़िन्दगी थोड़ा और समय देती।अब सब अपनी लाइफ में अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए है और शायद ही अब ऐसा कोई मौका मिले।इसलिए मुझे लगा कि इसे एक याद के तौर पर लिख लेना चाहिए।मकसद ये नही की मैं लिखना चाहता था बल्कि ये की जब जब कोई इस सफर को पढ़ेगा तो वह इन पालो को महसूस कर सकेगा।

हरिवंशराय बच्चन की ये पंक्तियां बहुत कुछ कह जाती है.

मैं यादों का किस्सा खोलू तो कुछ दोस्त बहुत याद आते है..
मैं गुजरे पलो को सोचु तो कुछ दोस्त बहुत याद आते है..

सबकी जिंदगी बदल गयी
एक नए साँचे में ढल गयी
सारे यार गुम हो गए
तू से तुम,ओर आप हो गए..

किनारों पर सागर के खजाने नही आते..
फिर ज़िन्दगी में दोस्त पुराने नही आते।

                                   रोहित शर्मा                     


मैं बहुत याद आऊंगा।

                       मैं बहुत याद आऊंगा
माना कि कुछ बचपन की नादानी होगी।
कुछ नासमझी बेवकूफी वाली बातें होगी।।
कभी गलती कर के कुछ सीखा होगा।
एक दिन गलतियों से ही अपनी पहचान बनाऊंगा।।
लकिन,देखना मैं बहुत याद आऊंगा।।1।।

कभी गुस्सा होकर रुठ जाऊंगा।
कभी गुस्से में सबको मनाऊंगा।।
कभी अहँकार बीच मे आया होगा।
कभी अहँकार के सामने दीवार बनकर खड़ा हो जाऊंगा।।
लेकिन,देखना मैं बहुत याद आऊंगा।।2।।

कभी अय्याशियां की होगी।
कभी तो समझदार बन जाऊंगा।।
कभी किसी के साथ गलत किया होगा।
कभी तो गलत के खिलाफ लड़ जाऊंगा।।
लेकिन,देखना एक दिन मैं बहुत याद आऊंगा।।3।।

कभी सबको खूब हंसाया होगा।
कभी हसंते हुए को भी रुलाया होगा।।
कभी सबसे दूर रहा होऊंगा।
कभी तो सबके साथ खूब हँसा होऊंगा।।
लेकिन,देखना मैं बहुत याद आऊंगा।।4।।

मेरे बाद फिर से तुम्हे एक अहसाह होगा।
क्या  फिर से तुम्हारा महिफल में साथ होगा।।
लौट आऊंगा वापस,बस तुम मुझे मना लेना।
सबकुछ भुलाकर फिर से गले लगा लेना।।
क्योंकि,देखना एक दिन मैं तुम्हे बहुत याद आऊंगा।।5।।
 
                        ............रोहित शर्मा...............

Ex की बर्थडे wish...........

रात के करीब 12 बजे थे,फ़ोन पर मैसेज पर मैसेज आ रहे थे।जी हां-आज बर्थडे था राहुल का।सब बड़ी बड़ी wish भेज रहे थे,जो जैसा मेसेज भेज रहा उसे वैसा ...